सर्दियों में पैरों के पंजे बहुत ठंडे पड़ जाते हैं और अनेक तरह के पापड़ बेलने पर भी गर्म नहीं होते। यह समस्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होती है। युवाओं में कम और बुजुर्गों में अधिक पाई जाती है शारीरिक दृष्टि से पैर ठंडे तब होते हैं जब आॅक्सीजन और रक्त का संचरण कम हो जाता है। रक्त संचार सुधरते ही यह समस्या समाप्त हो जाती है। हाथों की अंगुलियां भी ठंड में इसी कारण ठिठुरती हैं।
यह व्याधि शूगर, रक्त अल्पता, परिधीय नाड़ी ;च्मतपचीमतल दमतअमेद्ध रोग, हाइपोथाइरायड, शराब, तम्बाकू के सेवन, कब्ज-कुपचन आदि से पीडि़त व्यक्तियों में अधिक होती है। इसके लिये कुछ घरेलू उपचार और सावधानियाँ नीचे दी गई हैं-
1. गर्म तेल की मालिश- मालिश हाथों-पैरों को गर्म रखने का सरल उपचारात्मक तरीका है। सरसों, तिल या नारियल के तेल को थोड़ी देर माइक्रोवेव में रखकर पैरों की मालिश करें। लगभग पाँच मिनट तक एक पाँव तथा फिर दूसरे पाँव की मालिश करें। सोने से पहले मालिश करके गर्म जुराब डाल लें।
2. जलीय उपचार- सोने से पहले 15-20 मिनट तक गर्म पानी में पैर डुबोये रखें। तौलिये से पोंछ कर गर्म जुराब डाल लें। दिन में धूप में बैठ कर पैरों को पहले 2-3 मिनट गर्म पानी में पैर डुबोये रखें। इस क्रिया को दिन में 3-4 बार दोहराएँ।
3. पैरों की कसरत- पैरों में रक्त संचार बढ़ाने के लिये पैरों की कसरत आवश्यक है। पैरों के पंजों पर एक मिनट तक खड़े रहें। फिर धीरे-धीरे एडि़याँ जमीन पर टिका लें। पैर सामने की ओर फैला कर पंजों को खींच कर धीरे-धीरे गोल घुमाएँ। एडि़याँ उठाकर दस कदम पंजों पर चलें। फिर पंजे उठाकर 10-11 कदम एडि़यों पर चलें। दस मिनट तक इस क्रिया को सुबह-शाम दिन में दो बार करें।
4. एपसम साॅल्ट ;डंहदपेपनउ ैनसंिजमद्ध - हाथ पैरों के ठंडे होने का एक कारण शरीर में मैगनीशियम की कमी भी होती है। आधा कप एपसम साॅल्ट एक टब पानी में अच्छे से घोल कर उसमें पैर डुबो कर बैठे रहें। इस क्रिया को प्रतिदिन नहीं करें। सप्ताह में पहले दो बार, फिर एक बार करें।
मेगनीशियम से विटामिन ‘डी’ का अवशोषण बढ़ जाता है। शरीर इस तत्व को अधिक लम्बे समय तक नहीं रोक सकता। अतः इसके लिये प्रतिदिन भोजन में इसे सम्मिलित करना आवश्यक है। इसके लिये सरसों का साग, शलगम, शकरकंद, तिल, अखरोट, बादाम आदि का सेवन बढ़ाएँ। यह तत्व लहसुन और लाल मिर्च में भी होता है।
5. अदरक- अदरक के तत्व शरीर को गर्मी प्रदान करते हैं। धीमी आँच पर एक गिलास पानी में एक चम्मच अदरक के टुकड़े उबाल लें। शहद डालकर सप्ताह मं दो बार पिएँ। अदरक उबाल कर उसके पानी में पैर डुबोकर बैठ जाएँ। 10-15 मिनट बाद पैर निकालें। अदरक की चाय बनाकर भी पी सकते हैं।
6. धूप में बैठना और घास पर चलना-सर्दियों में नंगे पैर घास पर चलने से उनमें रक्त संचरण बढ़ जाता है। दोपहर को धूप में बैठें। इससे पैरों की नसों-मांसपेशियों की ऐंठन समाप्त हो जाती है। इन क्रियाओं से विटामिन ‘डी’ की कमी पूरी हो जाती है।
7. शरीर में लौह तत्व बढ़ाएँ- रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी के कारण शरीर में आॅक्सीजन की पूर्ति नहीं हो पाती है। लौह तत्व पूर्ति के लिये खजूर, सेब, आँवला, मेवे, पालक, मेथी, अलसी आदि का सेवन अधिक करें।
8. कुर्सी पर बैठकर पैर सामने स्टूल पर रखें। पैरों को अधिक देर तक लटका कर नहीं बैठें।
9. तेज चाल से सैर प्रतिदिन करें। योगासन तथा प्राणायाम का अभ्यास बहुत लाभकारी है। इस अभ्यास से रक्त दबाव, मधुमेह ठीक रहेगा और हाथों-पैरों में रक्त संचार बढ़ जायेगा।
10. स्वस्तिक आसन में बैठें।
From Yog Manjari
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (12.02.2016) को "विचार ही हमें बदल सकते हैं" (चर्चा अंक-2250)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी दी है आपने |मेरी समस्या का निदान बता दिया |आज से ही
ReplyDeleteउपचार प्रारम्भ करती हूँ |
उपयोगी जानकारी
ReplyDeleteअतिसुन्दर रचना
मातृत्व की तैयारी
बहुत उपयोगी जानकारी ।
ReplyDeleteमेरी २००वीं पोस्ट में पधारें-
"माँ सरस्वती"