युवा क्रान्ति का अर्थ है ऐसे युवा तैयार करना जो युग की माँग को पूरा करने के
लिए अपने जीवन को समर्पित करें। इसके लिए वो आचार्य भी चाहिए जो युवाओं का मानस
परिवर्तन करने में समर्थ हों। आजादी के समय श्री अरविन्द, सुभाष चन्द्र बोस इत्यादि ऐसी व्यक्तित्व समय में
उपलब्ध थे जिनके सम्पर्क में आकर युवाओं के अन्दर देशभक्ति का जनून उत्पन्न होता
था। आजादी के संघर्ष में युवाओं ने जो भूमिका निभायी वो सदा याद की जाएगी। आज पुनः
वह आवश्यकता आन पड़ी है।
भगवान की इस सुन्दर सृष्टि रूपी बगिया पर पशुओं ने जो उत्पात मचा रखा है उससे
सभी चितित है। UK New Guardian ने हाल ही में एक रिपार्ट दुनिया के सामने रखी
है जिसका शीर्षक है “Earth will expire by
2050” यह रिपार्ट उन्होंने बहुत ही सुन्दर
वैज्ञानिक तथ्यों के साथ पेश की है। इसके अनुसार पिछले तीन दशको में मानव ने विश्व
की एक तिहाई प्राकृतिक सम्पदा समाप्त कर डाली। इस हिसाब से या तो धरती का
आध्यात्मिक रूपान्तरण होगा या भारी विनाश होगा।
ऐसे विषय समय में हिमालय की देवशक्तियाँ धरती को विनाश से बचाने के लिए अपनी
पूरी ताकत झोक रही है। जो भर चुक है उसके लिए तो क्या कहा जाए परन्तु जो जीवित है
उसके हृदय में कुछ अच्छा करने की प्रेरणा अवश्य उत्पन्न हो रही है। भरने से
तात्पर्य है जिसका विवेक वासना, तृष्णा, अहंता में नष्ट हो चुका है। कभी-कभी लगता है कि जिन्होंने
राम का, कृष्ण का बुद्ध
का साथ दिया, जीवन धन्य बनाया वो कितने सौभाग्यशाली रहे होगे। एक बार ऐसे ही एक
विश्वविद्यालय में गौतम बुद्ध जयन्ती धूमधाम से मनायी जा रही थी। उप कुलपति (Vice Chancellor) महोदय विद्यार्थियों की सभा
को सम्बोधित करते हुए कह रहे थे ‘‘काश यदि आज बुद्ध जीवित होते तो हम भी उनके
चरणों में बैठक ध्यान की गहराइयों में प्रेवश कर पाते।’’ तभी एम.ए का एक
विद्यार्थी चन्द्र मोहन खड़ा हुआ व उनके बीच में ही पेक दिया ‘‘बिल्कुल गलत Sir, श्री रमण, श्री अरविन्द जैसे बुद्ध के समान महापुरुष आपके
समय में ही हुए। आप कितनी बार उनके पास ध्यान सीखने गए, जरा बताइए।’’ यह सुनकर सभी सन्न रह गए व अपनी
वी.सी साहब अपनी गलती पर शर्मिदा हुए। यह विद्यार्थी चन्द्र मोहन आगे चलकर आचार्य
रजनीश के नाम से विश्व विख्यात हुए।
यह बात हम सभी के साथ है। समय रहते हम जीवन निर्माण का प्रचार नही करते, विभिन्न स्वर्णिम अवसर जीवन में आते है हमारे
समय का द्वारा खटखटाते है परन्तु हम वह लाभ नहीं उठा पाते। समय चूकने पर भगवान का
भाग्य से शिकायत करते हुए पाए जाते है कि हमारे साथ यह होता पर होता आदि-आदि।
अभी यह युवाओं के लिए स्वर्णिम अवसर है धरती पर भगवान का काम करने के लिए अपनी
भूमिका, अपनी भगीदारी
किसी न किसी रूप में अवश्य सुनिश्चित करे। चाहे किसी संस्था से जुडे या न जुडे, चाहे नौकरी करे या न करे। चाहे विवाह अभी कराएँ
या देर से कराएँ, परन्तु जीवन के दिनों को यों व्यर्थ न कट जाने दे। जो भी
सामथ्र्य, समय, प्रतिभा, वातावरण, भगवान ने दिया है। जो भी अन्तरात्मा से आवाज आ
रही है, जो भी स्थिति
परिस्थिति हमारे सम्मुख है उसी में बढ़-बढ़ कर अपना योगदान प्रस्तुत करे। जवानी एक
ही बार मिला करती है दोबारा नहीं इस कीमती रत्न के वासना के गन्दे दलदल में, तृष्णा के भंवर में न फंस जाने दे।
यह भी सोचा जा सकता है कि ‘सरकार आपके द्वारा’ की तरह यह पुस्तिका यह सदेश
भगवान की पुकार के रूप में जीवन में प्रस्तुत है। जो जाग्रत है वो पुकार को आसुनी
नहीं कर पाएगा ओर जो सोया है अर्थात् जिसका विवेक सोया है उसके पश्चाताप ही मिलगा।
हे युवक भगवान से प्रार्थना कर कि जीवन के सन्मार्ग मिलें, देश, समाज, मानवता की सेवा का अवसर मिलें; आत्म कल्याण ओर लोक कल्याण के पथ पर चल पाएँ ऐसा
दिव्य प्रकाश मिलें। प्रुभ की Grace & Guidance अर्थात् कृपा व मार्गदर्शन रूपी अनमोल
उपहार हमें अवश्य मिलें। धन मिलें या नहीं, मित्र मिलें या नहीं, प्रतिष्ठा मिलें या न मिलें परन्तु जीवन में सन्मार्ग
अवश्य मिलें, यही प्रार्थना हर युवक भारत माँ, धरती माँ अपने ईष्ट अराध्य से करे। यही मानस
परिवर्तन का आधार है यही जीवन निर्माण का प्रथम चरण है
From my नई book "YUG KE VISHWAMITRA"
From my नई book "YUG KE VISHWAMITRA"
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