भारतीय
वनौषधियों में गोरखमुंडी का विशेष महत्व है। सर्दी के मौसम में इसमें फूल और फल
लगते हैं। इस पौधे की जड़, फूल और पत्ते
कई रोगों के लिए फायदेमंद होते हैं। गोरखमुण्डी भारत
के प्रायः सभी प्रान्तों में पाई जाती है। संस्कृत में इसकी श्रावणी
महामुण्डी अरुणा, तपस्विनी तथा
नीलकदम्बिका आदि कई नाम हैं। यह अजीर्ण, टीबी, छाती में जलन, पागलपन, अतिसार, वमन, मिर्गी, दमा, पेट में कीड़े, कुष्ठरोग, विष विकार आदि में तो लाभदायक होती ही है, इसे बुद्धिवर्द्धक भी माना जाता है। गोरखमुंडी की गंध बहुत तीखी होती है।
गर्भाशय, योनि सम्बन्धी अन्य बीमारियों पथरी-पित्त सिर की
आधाशीशी आदि में भी यह अत्यन्त लाभकारी औषधि है।
गोरखमुंडी के
चार ताजे फल तोड़कर भली प्रकार चबायें और दो घूंट पानी के साथ इसे पेट में उतार
लें तो एक वर्ष तक न तो आंख आएगी और न ही आंखों की रोशनी कमजोर होगी। गोरखमुंडी की
एक घुंडी प्रतिदिन साबुत निगलने कई सालों तक आंख लाल नहीं होगी।
इसके पत्ते पीस
कर मलहम की तरह लेप करने से नारू रोग (इसे बाला रोग भी कहते हैं, यह रोग गंदा पानी पीने से होता है) नष्ट हो जाते
हैं।
गोरखमुंडी तथा
सौंठ दोनों का चूर्ण बराबर-बराबर मात्रा में गर्म पानी से लेने से आम वात की पीड़ा
दूर हो जाती है।
गोरखमुंडी चूर्ण, घी, शहद को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से वात रोग समाप्त होते हैं।
कुष्ठ रोग होने
पर गोरखमुंडी का चूर्ण और नीम की छाल मिलाकर काढ़ा तैयार कीजिए, सुबह-शाम इस काढ़े का सेवन करने से कुष्ठ रोग
ठीक हो जाता है।
गले के लिए यह
बहुत फायदेमंद है, यह आवाज को मीठा
करती है।
गोरखमुंडी का
सुजाक, प्रमेह आदि धातु रोग में सर्वाधिक सफल प्रयोग किया
गया है।
योनि में दर्द
हो, फोड़े-फुन्सी या खुजली हो तो गोरखमुंडी के बीजों
को पीसकर उसमें समान मात्रा में शक्कर मिलाकर रख लें और एक बार प्रतिदिन दो चम्मच
ठंडे पानी से लेने से इन बीमांरियों में फायदा होता है। इस चूर्ण को लेने से शरीर
में स्फूर्ति भी बढ़ती है।
गोरखमुडी का
सेवन करने से बाल सफेद नही होते हैं।
गोरखमुंडी के
पौधे उखाड़कर उनकी सफाई करके छाये में सुखा लें। सूख जाने पर उसे पीस लीजिए और घी
चीनी के साथ हलुआ बनाकर खाइए, इससे इससे दिल, दिमाग, लीवर को बहुत शक्ति मिलती है।
गोरखमुडी का
काढ़ा बनाकर प्रयोग करने से पथरी की समस्या दूर होती है।
पीलिया के
मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद औषधि है।
गोरखमुंडी के
पत्ते तथा इसकी जड़ को पीस कर गाय के दूध के साथ लिया जाये तो इससे यौन शक्ति
बढ़ती है। यदि इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर कोई व्यक्ति लगातार दो वर्ष तक दूध के साथ
सेवन करता है तो उसका शरीर मजबूत हो जाता है। गोरखमुंडी का सेवन शहद, दूध मट्ठे के साथ किया जा सकता है।
गोरखमुंडी का
प्रयोग बवासीर में भी बहुत लाभदायक माना गया है। गोरखमुंडी की जड़ की छाल निकालकर
उसे सुखाकर चूर्ण बनाकर हर रोज एक चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से मट्ठे का सेवन किया
जाये तो बवासीर पूरी तरह समाप्त हो जाती है। जड़ को सिल पर पीस कर उसे बवासीर के
मस्सों में तथा कण्ठमाल की गाठों में लगाने से बहुत लाभ होता है। पेट के कीड़ों
में भी इस की जड़ का पूर्ण प्रयोग किया जाता है, उससे निश्चित लाभ मिलता है।
जिन की आंखे
कमजोर हैं, जिन्हे नजदीक या
दूर का चश्मा लगा हुआ है वह यह प्रयोग करे:-
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ये सभी प्रयोग
अनेक बार आजमाए हुए व सुरक्षित हैं। किसी को भी कोई हानी नहीं होगी। लाभ किसी को
कम व किसी को अधिक हो सकता है परंतु लाभ सभी को होगा। हो सकता है किसी का चश्मा न
उतरे परंतु चश्मे का नंबर जरूर कम होगा। प्रयोग करने से सिर मे दर्द नहीं होगा।
बाल दोबारा काले हो जाएगे। बाल झड़ने रूक जाएगे। गोरखमुंडी एक एसी औषधि है जो आंखो
को जरूर शक्ति देती है। अनेक बार अनुभव किया है। आयुर्वेद मे गोरखमुंडी को रसायन
कहा गया है। आयुर्वेद के अनुसार रसायन का अर्थ है वह औषधि जो शरीर को जवान बनाए रखे।
गोरखमुंडी का
पौधा यदि यह कहीं मिल जाए तो इसे जड़ सहित उखाड़ ले। इसकी जड़ का चूर्ण बना कर आधा
आधा चम्मच सुबह शाम दूध के साथ प्रयोग करे । बाकी के पौधे का पानी मिलाकर रस निकाल
ले। इस रस से 25% अर्थात एक चौथाई
घी लेकर पका ले। इतना पकाए कि केवल घी रह जाए। यह भी आंखो के लिए बहुत गुणकारी है।
बाजार मे साबुत
पौधा या जड़ नहीं मिलती। केवल इसका फल मिलता है। तब आप इस प्रकार प्रयोग करे ..100 ग्राम गोरखमुंडी लाकर पीस ले। बहुत आसानी से पीस
जाती है। इसमे 50 ग्राम गुड मिला
ले। कुछ बूंद पानी मिलाकर मटर के आकार की गोली बना ले। इसे भी ले सकते है .
जो अधिक गुणकारी
बनाना चाहे तो ऐसे करे यह काम लौहे कि कड़ाही मे करना चाहिए । न मिले तो पीतल की
ले। यदि वह भी न मिले तो एल्योमीनियम कि ले। 300 ग्राम गोरखमुंडी ले आए।लाकर पीस ले । 100 ग्राम छन कर रख ले। बाकी बची 200 ग्राम गोरखमुंडी को 500 ग्राम पानी मे
उबाले। जब पानी लगभग 300 ग्राम बचे तब
छान ले। साथ मे ठंडी होने पर दबा कर निचोड़ ले। इस पानी को मोटे तले कि कड़ाही मे
डाले। उसमे 100 ग्राम गुड कूट
कर मिलाकर धीमा धीमा पकाए। जब शहद के समान गाढ़ा हो जाए तब आग बंद कर दे। जब ठंडा
जो जाए तो देखे कि काफी गाढ़ा हो गया है। यदि कम गाढ़ा हो तो थोड़ा सा और पका ले। फिर
ठंडा होने पर इसमे 100 ग्राम बारीक
पीसी हुई गोरखमुंडी डाल कर मिला ले। अब 50 ग्राम चीनी/मिश्री मे 10 ग्राम छोटी
इलायची मिलाकर पीस ले। छान ले। हाथ को जरा सा देशी घी लगा कर मटर के आकार कि गोली
बना ले। गोली बना कर चीनी इलायची वाले पाउडर मे डाल दे ताकि गोली सुगंधित हो जाए। 3 दिन छाया मे सुखाकर प्रयोग करे। इलायची केवल
खुशबू के लिए है।
प्रयोग विधि :-
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1-1 गोली 2 समय गरम दूध से हल्के गरम पानी से दिन मे 2 बार ले। सर्दी आने पर 2-2 गोली ले सकते हैं। इसका चमत्कार आप प्रयोग करके
ही अनुभव कर सकते हैं। आंखे तो ठीक होंगी है रात दिन परिश्रम करके भी थकावट महसूस
नहीं होगी। कील, मुहाँसे, फुंसी, गुर्दे के रोग सिर के रोग सभी मे लाभ करेगी। जिनहे पेशाब कम आता है या शरीर
के किसी हिस्से से खून गिरता है तो ठंडे पानी से दे। इतनी सुरक्षित है कि गर्भवती
को भी दे सकते हैं। ध्यान रहे 2-4 दिन मे कोई लाभ
नहीं होगा। लंबे समय तक ले । गोली को अच्छी तरह सूखा ले। अन्यथा अंदर से फफूंद लग
जाएगी।
ये पाचन शक्ति
बढ़ाती है इसलिए भोजन समय पर खाए। चाय पी कर भूख खत्म न करे। चाय पीने से यह दवाई
लाभ के स्थान पर हानि करेगी।
गर्भाशय, योनि सम्बन्धी अन्य बीमारियों पथरी-पित्त सिर की आधाशीशी आदि में भी यह अत्यन्त लाभकारी औषधि है।
गोरखमुंडी के चार ताजे फल तोड़कर भली प्रकार चबायें और दो घूंट पानी के साथ इसे पेट में उतार लें तो एक वर्ष तक न तो आंख आएगी और न ही आंखों की रोशनी कमजोर होगी। गोरखमुंडी की एक घुंडी प्रतिदिन साबुत निगलने कई सालों तक आंख लाल नहीं होगी।
इसके पत्ते पीस कर मलहम की तरह लेप करने से नारू रोग (इसे बाला रोग भी कहते हैं, यह रोग गंदा पानी पीने से होता है) नष्ट हो जाते हैं।
गोरखमुंडी तथा सौंठ दोनों का चूर्ण बराबर-बराबर मात्रा में गर्म पानी से लेने से आम वात की पीड़ा दूर हो जाती है।
गोरखमुंडी चूर्ण, घी, शहद को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से वात रोग समाप्त होते हैं।
कुष्ठ रोग होने पर गोरखमुंडी का चूर्ण और नीम की छाल मिलाकर काढ़ा तैयार कीजिए, सुबह-शाम इस काढ़े का सेवन करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
गले के लिए यह बहुत फायदेमंद है, यह आवाज को मीठा करती है।
गोरखमुंडी का सुजाक, प्रमेह आदि धातु रोग में सर्वाधिक सफल प्रयोग किया गया है।
योनि में दर्द हो, फोड़े-फुन्सी या खुजली हो तो गोरखमुंडी के बीजों को पीसकर उसमें समान मात्रा में शक्कर मिलाकर रख लें और एक बार प्रतिदिन दो चम्मच ठंडे पानी से लेने से इन बीमांरियों में फायदा होता है। इस चूर्ण को लेने से शरीर में स्फूर्ति भी बढ़ती है।
गोरखमुडी का सेवन करने से बाल सफेद नही होते हैं।
गोरखमुंडी के पौधे उखाड़कर उनकी सफाई करके छाये में सुखा लें। सूख जाने पर उसे पीस लीजिए और घी चीनी के साथ हलुआ बनाकर खाइए, इससे इससे दिल, दिमाग, लीवर को बहुत शक्ति मिलती है।
गोरखमुडी का काढ़ा बनाकर प्रयोग करने से पथरी की समस्या दूर होती है।
पीलिया के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद औषधि है।
गोरखमुंडी के पत्ते तथा इसकी जड़ को पीस कर गाय के दूध के साथ लिया जाये तो इससे यौन शक्ति बढ़ती है। यदि इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर कोई व्यक्ति लगातार दो वर्ष तक दूध के साथ सेवन करता है तो उसका शरीर मजबूत हो जाता है। गोरखमुंडी का सेवन शहद, दूध मट्ठे के साथ किया जा सकता है।
गोरखमुंडी का प्रयोग बवासीर में भी बहुत लाभदायक माना गया है। गोरखमुंडी की जड़ की छाल निकालकर उसे सुखाकर चूर्ण बनाकर हर रोज एक चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से मट्ठे का सेवन किया जाये तो बवासीर पूरी तरह समाप्त हो जाती है। जड़ को सिल पर पीस कर उसे बवासीर के मस्सों में तथा कण्ठमाल की गाठों में लगाने से बहुत लाभ होता है। पेट के कीड़ों में भी इस की जड़ का पूर्ण प्रयोग किया जाता है, उससे निश्चित लाभ मिलता है।
जिन की आंखे कमजोर हैं, जिन्हे नजदीक या दूर का चश्मा लगा हुआ है वह यह प्रयोग करे:-
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ये सभी प्रयोग अनेक बार आजमाए हुए व सुरक्षित हैं। किसी को भी कोई हानी नहीं होगी। लाभ किसी को कम व किसी को अधिक हो सकता है परंतु लाभ सभी को होगा। हो सकता है किसी का चश्मा न उतरे परंतु चश्मे का नंबर जरूर कम होगा। प्रयोग करने से सिर मे दर्द नहीं होगा। बाल दोबारा काले हो जाएगे। बाल झड़ने रूक जाएगे। गोरखमुंडी एक एसी औषधि है जो आंखो को जरूर शक्ति देती है। अनेक बार अनुभव किया है। आयुर्वेद मे गोरखमुंडी को रसायन कहा गया है। आयुर्वेद के अनुसार रसायन का अर्थ है वह औषधि जो शरीर को जवान बनाए रखे।
गोरखमुंडी का पौधा यदि यह कहीं मिल जाए तो इसे जड़ सहित उखाड़ ले। इसकी जड़ का चूर्ण बना कर आधा आधा चम्मच सुबह शाम दूध के साथ प्रयोग करे । बाकी के पौधे का पानी मिलाकर रस निकाल ले। इस रस से 25% अर्थात एक चौथाई घी लेकर पका ले। इतना पकाए कि केवल घी रह जाए। यह भी आंखो के लिए बहुत गुणकारी है।
बाजार मे साबुत पौधा या जड़ नहीं मिलती। केवल इसका फल मिलता है। तब आप इस प्रकार प्रयोग करे ..100 ग्राम गोरखमुंडी लाकर पीस ले। बहुत आसानी से पीस जाती है। इसमे 50 ग्राम गुड मिला ले। कुछ बूंद पानी मिलाकर मटर के आकार की गोली बना ले। इसे भी ले सकते है .
जो अधिक गुणकारी बनाना चाहे तो ऐसे करे यह काम लौहे कि कड़ाही मे करना चाहिए । न मिले तो पीतल की ले। यदि वह भी न मिले तो एल्योमीनियम कि ले। 300 ग्राम गोरखमुंडी ले आए।लाकर पीस ले । 100 ग्राम छन कर रख ले। बाकी बची 200 ग्राम गोरखमुंडी को 500 ग्राम पानी मे उबाले। जब पानी लगभग 300 ग्राम बचे तब छान ले। साथ मे ठंडी होने पर दबा कर निचोड़ ले। इस पानी को मोटे तले कि कड़ाही मे डाले। उसमे 100 ग्राम गुड कूट कर मिलाकर धीमा धीमा पकाए। जब शहद के समान गाढ़ा हो जाए तब आग बंद कर दे। जब ठंडा जो जाए तो देखे कि काफी गाढ़ा हो गया है। यदि कम गाढ़ा हो तो थोड़ा सा और पका ले। फिर ठंडा होने पर इसमे 100 ग्राम बारीक पीसी हुई गोरखमुंडी डाल कर मिला ले। अब 50 ग्राम चीनी/मिश्री मे 10 ग्राम छोटी इलायची मिलाकर पीस ले। छान ले। हाथ को जरा सा देशी घी लगा कर मटर के आकार कि गोली बना ले। गोली बना कर चीनी इलायची वाले पाउडर मे डाल दे ताकि गोली सुगंधित हो जाए। 3 दिन छाया मे सुखाकर प्रयोग करे। इलायची केवल खुशबू के लिए है।
प्रयोग विधि :-
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1-1 गोली 2 समय गरम दूध से हल्के गरम पानी से दिन मे 2 बार ले। सर्दी आने पर 2-2 गोली ले सकते हैं। इसका चमत्कार आप प्रयोग करके ही अनुभव कर सकते हैं। आंखे तो ठीक होंगी है रात दिन परिश्रम करके भी थकावट महसूस नहीं होगी। कील, मुहाँसे, फुंसी, गुर्दे के रोग सिर के रोग सभी मे लाभ करेगी। जिनहे पेशाब कम आता है या शरीर के किसी हिस्से से खून गिरता है तो ठंडे पानी से दे। इतनी सुरक्षित है कि गर्भवती को भी दे सकते हैं। ध्यान रहे 2-4 दिन मे कोई लाभ नहीं होगा। लंबे समय तक ले । गोली को अच्छी तरह सूखा ले। अन्यथा अंदर से फफूंद लग जाएगी।
ये पाचन शक्ति बढ़ाती है इसलिए भोजन समय पर खाए। चाय पी कर भूख खत्म न करे। चाय पीने से यह दवाई लाभ के स्थान पर हानि करेगी।
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