मोबाइल, कंप्यूटर और लैपटॉप पर घंटों चिपकें रहने की आदत न केवल दिल, बल्कि आंखों की सेहत के लिए भी खतरनाक
है। इससे व्यक्ति युवावस्था में ही ‘‘ ड्राई आई
सिंड्रोम ‘‘ का षिकार हो सकता है।
क्या है ‘‘ ड्राई आई सिंड्रोम ‘‘
‘‘ ड्राई
आई सिंड्रोंम ‘‘ से पीड़ित व्यक्ति की आंखों में पर्याप्त मात्रा में आंसू
पैदा नहीं हो पाते है। इससे हानिकारक तत्वों से आंखों की कोषिकाओं की सुरक्षा करने
वाली परत यानी ‘‘टियर फिल्म’’ कमजोर हो जाती है और रोषनी घटने लगती
हे। बढ़ती उम्र में होती है षिकायत ढलती उमर को साथ ‘‘टियर फिल्म’’ का कमजोर पड़ना आम बात है। लेकिन तकनीक
के इस युग में घंटों कंप्यूटर पर काम करने को मजबूर है। इससे वे पलकें कम झंपकाते
है। नतीजन आंखों में पर्याप्त मात्रा में आंसू नहीं बन पाते।
बचाव के उपाय
1 कंप्यूटर पर लंबें समय तक आंखें गडाकर काम न करे।
2 आधें घंटे के अंतराल पर दो-तीन मिनट का ब्रेक ले।
3 दिन में तीन से पांच बार आंखों में ठंडें पानी का छींटा मारे।
4 काम करने के दौरान एक मिनट में कम से कम बारह से पंद्रह बार पलकें
झपकाएं, आंखों को मलनें से बचें।
5 विषेशज्ञों की सलाह से आई -ड्रोंप का इस्तेमाल कर सकते है, हालांकि इनके ज्यादा उपयोग से बचें।
No comments:
Post a Comment