वत्तुत: रक्तचाप कोई रोग नहीं है। हर
व्यक्ति को हर सयम रक्तचाप रहता है लेकिन जब यह रक्तचाप आवश्यकता से अधिक बढ़ जाता
है तभी चिंता का विषय बन जाता है। हमारा हृदय एक रक्त शोधनशाला है और वही
शरीर के सभी अंगों को शुद्ध रक्त की आपूर्ति करता है। हृदय में संकोचन और प्रसारण
की एक स्वाभाविक शक्ति है। हृदय के संकोचन और प्रसारण से ही रक्त धमनियों में
प्रवाहित होता है। जब रक्तचाप स्वाभाविक से अधिक हो जाता है तो उसे उच्च रक्तचाप
या हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं।
रक्तचाप बढ़ने का कारण- रक्तचाप बढ़ने का मुख्य कारण धमनियों
की दीवारों का मोटा और कड़ा हो जाना है। दीवारों के मोटे हो जाने से रक्त का मार्ग
तंग हो
जाता है और उसे आगे ठेलने के लिए हृदय को बहुत जोर लगाना पड़ता है। हृदय को रक्त
ठेलने के लिए सामान्य से जितना अधिक जोर लगाना पड़ता है उतना ही रक्तचाप बढ़ता है।
धमनियों के मोटे और कठोर होने तथा रक्त का मार्ग तंग और अवरूद्ध होने का एक प्रमुख कारण वात
प्रकोप है। जब प्रदूषित वायु कफ के साथ अपनी प्रबुद्ध गति में धमनी में संचरण करती
है तो कफ आदि के अंश वहां जमा हो जाते है, जिससे रक्त का मार्ग अवरूद्ध हो जाता है और धमनियां कठोर हो
जाती हैं। वृद्धा अवस्था में धमनियों का लचीलापन घट जाता है। इसलिए हृदय संकोच के
समय फैल नहीं पाता जिससे रक्त का दबाव बढ़ जाता है।
रक्तचाप का प्रभाव मस्तिष्क पर- रक्तचाप वृद्धि का प्रभाव मस्तिष्क,
हृदय और बस्ति पर विशेष पड़ता है।
परन्तु लक्षण सबसे पहले मस्तिष्क और हृदय में प्रकट होते हैं। सबसे पहले सिर में
चक्कर आते है, आंखों
के आगे अंधेरा छा जाता है, घबराहट
व व्याकुलता बढ़ जाती है। व्यक्ति अकारण ही उद्धिग्न और अशांत हो जाता है तथा अपने
पर निंयत्रण नहीं रख पाता। मन और मस्तिष्क निर्बल हो जात है और निद्रा नहीं आती है।
सुषुम्ना नाड़ी के सूत्र धमनियों को
संकुचित और हृदय को उत्तेजित रखते हैं। इसलिए आवेग प्रधान और विक्षोभशील प्रकृति
वाले व्यक्तियों में स्वभावत: रक्तचाप बढ़ने की प्रवृति होती है इसी प्रकार जो
व्यक्ति वात प्रकृति के होते हैं और व्यायाम नहीं करते, उनका भी रक्तचाप बढ़ा हुआ रहता है।
वृक्कों (गुर्दो) को रक्त कम मिलने या उप वृक्क ग्रंथि में कैंसर-अर्बुद्ध-आघात हो,
तो शरीर में जल अधिक रूक जाता है जिससे
धमनियां संकुचित हो जाती हैं। और रक्तचाप बढ़ जाता है। स्त्रियों में जब मासिक
धर्म बंद हो जाता है तो धमनियां संकुचित हो जाती हैं तब रक्तचाप बढ़ जाता है।
मधुमेह, मेदो वृद्धि, उपदंश, गठिया, वृक्क रोग, आदि रोगों से तथा औषधियों के विषैले
प्रभाव में, मदिरा-चाय-कॉफी
आदि पदार्थो के अधिक मात्रा में चिरकाल तक सेवन करने में भी रक्तचाप बढ़ जाता है।
सावधानियां- उच्च रक्तचाप वाले रोगी को न तो ऐसे
वातावरण में रहना चाहिए और न ऐसा वातावरण पैदा करना चाहिए जिससे काम, क्रोध, क्षोभ या ओवश की सृष्टि होती हो। उसे
बातचीत और व्यवहार में नरमी लानी चाहिए, जोश में न आकर सहनशीलता से काम लेना चाहिए। अधिक मानसिक श्रम
नहीं करना चाहिए। इस बात की भी चिंता नहीं करनी चाहिए कि उसे रक्तचाप का रोग है।
रोग मालूम पड़ते ही इस रोग की उपेक्षा न करें। जब तक उससे कोई कष्ट न हो। पूर्ण
विश्राम कर ही इसको ठीक करें। नमक का सेवन कम करें, चाय-कॉफी का सेवन कम करें। देर से पचने
वाली वस्तुएं भी कम सेवन करनी चाहिएं।
भोजन में प्रोटीन कम हो- भोजन में प्रोटीन और सोडियम की मात्रा
कम होनी चाहिए। चावल, दूध,
केला, सेब और संतरा खाने से लाभ होता है।
प्रतिदिन खुली हवा में घूमना चाहिए। नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
चाय-कॉफी भी कम पीनी चाहिए। यदि शरीर मोटा हो तो वनज कम करना चाहिए।
आंवले का प्रयोग लाभदायक- लाभदायक चिकित्सा के रूप में आंवले का
चूर्ण आधी-आधी चम्मच दिन में तीन बार पानी से लेना चाहिए अथवा शंखपुष्पी चुर्ण
एक-एक चम्मच दिन में तीन बार पानी से लेना चाहिए अथवा सर्पगंधा पचास ग्राम,
मिसरी दो सौ ग्राम चूर्ण बनाकर एक-एक
चम्मच सुबह-शाम पानी से लेनी चाहिए अथवा ‘‘ब्रह्म रसायन’’ अथवा ‘‘चन्द्रावलेह’’ के एक-एक चम्मच सुबह व रात में दूध से
लेना लाभप्रद है।
रक्तचाप (उच्च)
(1)
सूक्ष्म चूर्ण अचरॊल (सर्पगंधा) का,
दो माशे भर खाय।
जल संग लेवे दो समय, रक्तचाप घटि जाय।।
विशेष - चाप संतुलित हो रहे, कर दे औषध बन्द।
अन्य रोगहर योग का, करे विशेष प्रबन्ध।।
(2) तीन मील घूमा करे, प्रात: नंगे पैर।
रक्त चाप होवे नहीं, हृदय रोग से खैर (बचाव)।।
(3) बासी रोटी गेहूं की, भीगो दूध में खाय।
उच्च रक्त के चाप में, शीघ्र लाभ दरसाय।।
(4) माशा चूरण बालछड़ (बड़ी इलायची), ताजा जल से खाय।
रक्त चाप हो उच्च तो, जल्द ठिकाने आय।।
(5) तोला ब्राह्मी पत्र (पत्ता) रस, पीवे सांस-सकार (समय)।
उच्च रक्त के चाप में, जल्दी होय सुधार।।
जल संग लेवे दो समय, रक्तचाप घटि जाय।।
विशेष - चाप संतुलित हो रहे, कर दे औषध बन्द।
अन्य रोगहर योग का, करे विशेष प्रबन्ध।।
(2) तीन मील घूमा करे, प्रात: नंगे पैर।
रक्त चाप होवे नहीं, हृदय रोग से खैर (बचाव)।।
(3) बासी रोटी गेहूं की, भीगो दूध में खाय।
उच्च रक्त के चाप में, शीघ्र लाभ दरसाय।।
(4) माशा चूरण बालछड़ (बड़ी इलायची), ताजा जल से खाय।
रक्त चाप हो उच्च तो, जल्द ठिकाने आय।।
(5) तोला ब्राह्मी पत्र (पत्ता) रस, पीवे सांस-सकार (समय)।
उच्च रक्त के चाप में, जल्दी होय सुधार।।
रक्तचाप की घरेलू चिकित्सा
उच्च रक्तचाप (1) बड़ी इलायची 200 ग्राम लेकर तवे पर
इतनी देर तक सेकें कि जल कर राख हो जाये। इस राख को पीस-छान कर साफ शीशी में भर
लें। एक छोटी चम्मच इलायची की राख और 2 चम्मच शहद-इन दोनों को मिलाकर सुबह-शाम
खायें। इसके बाद 20-25 मिनट तक चाय या पानी का सेवन न करें। 15 दिन तक लगातार
प्रयोग करने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जायेगा।
(2) प्याज का रस खून में cholesterol की मात्रा को कम करके दिल के दौरे को
रोकता है। प्याज नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है। खून साफ करता है। प्याज का रस और
शहद बराबर मात्रा में मिलाकर,
नित्य दो चम्मच की मात्रा में दिन में एक बार लेना रक्तचाप में लाभप्रद है।
Unani Medicines for Hypertension: Khamira Marwareed Khas
lumen*=== a cavity or passage in a tubular organ
People with Pitta and Vata predominant constitution and Pitta and Vata imbalance, are more prone to hypertension than any other. Unprocessed anger, frustration, irritability, anxiety and fear leads to mal-adaptation of the endocrine system, which then leads to conditions like hypertension. Treatment is based on bringing these imbalances back to normal. In the treatment of hypertension; nutrition, exercise, breathing exercises (Pranayama), yoga, meditation, behavioral modification along with various herbs and minerals are prescribed.
For Vat type garlic or Ashwagandha preparations are used. For Pitta type Gotu Kola (Brahmi) or BRAHM RASAYAN can be used. For cough type Arjuna preparations like TRIKATU are very useful.
Congestive Heart Failure:
Unani Medicines for Hypertension: Khamira Marwareed Khas
उच्च रक्त चाप
में जो अंग्रेजी दवाईयाॅं रोगियों को दी जाती हैं उनका कार्य करने का तरीका बड़ा
ही विचित्र होता है। एक प्रकार की दवाएॅं रक्त से तरल पदार्थों को मूत्र के माध्यम
से बाहर निकालती हैं तो दूसरी दवाएॅं हृदय व रक्त वाहिनी नलिकाओं को कैल्शियम की
आपूर्ति रोकती हैं। इस प्रकार प्रत्येक दवा शरीर में एक समस्या उच्च रक्त चाप का
समाधान करती है तो दूसरी नई समस्या को जन्म दे रही होती है।
From Ayurvedic perspective, hypertension is commonly a pitta condition. However it can be of 3 types. VATA hypertension is due to worry, strain, overwork, anxiety or insomnia, frequently associated with nervous system disorders. KAPHA hypertension is due to obesity, tiredness, edema and high cholesterol. Kapha type of hypertension is almost due to arteriosclerosis (deposition of fat or calcium inside the arteries - making their lumen* narrow- causing hypertension). PITTA hypertension is associated with liver disorders and the accumulation of internal heat.lumen*=== a cavity or passage in a tubular organ
People with Pitta and Vata predominant constitution and Pitta and Vata imbalance, are more prone to hypertension than any other. Unprocessed anger, frustration, irritability, anxiety and fear leads to mal-adaptation of the endocrine system, which then leads to conditions like hypertension. Treatment is based on bringing these imbalances back to normal. In the treatment of hypertension; nutrition, exercise, breathing exercises (Pranayama), yoga, meditation, behavioral modification along with various herbs and minerals are prescribed.
For Vat type garlic or Ashwagandha preparations are used. For Pitta type Gotu Kola (Brahmi) or BRAHM RASAYAN can be used. For cough type Arjuna preparations like TRIKATU are very useful.
Congestive Heart Failure:
Heart failure,
sometimes known as congestive heart failure, occurs when your heart muscle
doesn't pump blood as well as it should. Certain conditions, such as narrowed
arteries in your heart (coronary artery disease) or high blood pressure,
gradually leave your heart too weak or stiff to fill and pump efficiently. Not
all conditions that lead to heart failure can be reversed, but treatments can
improve the signs and symptoms of heart failure and help you live longer.
Lifestyle changes — such as exercising, reducing salt in your diet, managing
stress and losing weight — can improve your quality of life. One
way to prevent heart failure is to control conditions that cause heart failure,
such as coronary artery disease, high blood pressure, diabetes or obesity
Hurdles in B.P. Management:
In some patients only Diastolic pressure is high while Systolic is near normal. What are the reasons for that? As the patient takes medicine for high BP, he feels fatigue syndrome or weakness, he wants to do rest only, feel uneasy to leave his bed. High BP medicines may reduce the pulse rate (Breadycardia) or may increase the palpitation of the heart.
There are few solutions of the above problems but applicable to those who believe in the principles of SANATAN DHARAM or Universal laws.
An article on low B.P. is also required. Unani Medicine for low BP: DawaUl Misk Motadil Jawahar Wali , Khamira Abresham Hakim Arshad Wala
We are doing some research work on these serious issues as they are silent killers for the body and their English treatments may also be said silent killer. Even SARPGANDHA Ayurvedic medicine in high dose is not suitable and may show side effects, if used more than 4 weeks. SADABHAR flower is better than this but not popular in society. According
to principles of Ayurveda, Hypertension is caused due to imbalance of Vata and
pitta. When Vata gets imbalanced it imbalances its 5 subtypes (Vyana, Udana,
Samana, Prana, Apaana ).
Cow therapy is also very effective for B.P. treatment. Details would be given in another article.
Many times it is not possible to cure it only by Ayurvedic medicines and allopathic has serious side effects mainly on week body. We can get solutions then at the level of VIGYANMAYA KOSH sadhna by improving water element through SWADHISTHAN CHAKRA and by controlling VAYU (air) TATVA by ANAHAT and AJNA CHAKRA sadhna. The basic reason of high B.P. in light weight persons is uncontrolled fire and air existing in the body, as our body has 5 elements. Can u imagine how dangerous it is (i.e. uncontrolled fire and air) in general? Only water element and earth elements can control it. Therefore Muladhar also plays an important role to control hypertension and anxiety.
It is not possible to give details here as it should be allowed only by studying the nature and physical system of the patient. Several RISHI level souls are doing research at this concept. If u are interested u can join.
It is not possible to give details here as it should be allowed only by studying the nature and physical system of the patient. Several RISHI level souls are doing research at this concept. If u are interested u can join.
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