कहावत है-आँखें अनमोल हैं। ‘‘दृष्टि है तो सृष्टि है’’ अत: इनकी सुरक्षा अत्यावश्यक है।
1.
मुँह में पानी भरकर बंद आँखों पर ठंडे पानी के छपके मारें, सुबह और प्रत्येक भोजन के बाद। इससे आँखों को अन्दर से व बाहर से ठंड मिलेगी।
2.
विटामिन-ए से भरपूर चीजें खाएं जैसे-गाजर, आँवला, पालक, फल, घी, दूध आदि।
3.
प्रतिदिन सुबह और रात को नाक में सरसों के तेल या देसी घी की दो-दो बूँदें अवश्य डालें।
4.
सुबह नगे पाँव हरी घास में टहलें।
5.
आँवला चूर्ण को घी अथवा शहद के साथ रात्रि में सेवन करने से नेत्र ज्योति जीवन भर कम नहीं होती।
6.
रात को आँखों में गुलाब जल की दो-दो बूँदें डालें।
7.
आर्इ-वाश-कप से आँखें धोएँ। योग केन्द्र में ये कप मिलते हैं।
8.
5 मिनट तक आँखों की निम्न क्रियाएँ करें। जैसे-पुतलियों को ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ गोलार्इ में दाएँ से बाएँ, बाएँ से दाएँ 10-10 बार घुमाएँ। पामिंग व ब्लिकिंग 1-1 मिनट करें।
9.
दिन भर में 10 सैकेन्ड में 3 बार पलकें जरूर झपकाएँ।
10.
आँखों को गर्म होने से बचाएँ, उनको समय-समय पर ठंडे पानी से गीला करें।
11.
बंद आँखों से 2-3 मिनट तक सुबह के सूर्य को देखने से नेत्र-ज्योति बढ़ती है, रतौंधी का रोग दूर होता है।
12.
स्नान से पहले नाभि में व कानों में सरसों का तेल लगाएँ, पैरों के अंगूठो पर तेल लगाकर मलें।
13.
रात को सोने से पहले या स्तान से पूर्व पैरों के तलवों की मालिश तेल से या सूखी करें। सिर की मालिश तेल से करें।
14.
भोजन के बाद सौंफ व खांड या मिश्री का सेवन करें।
15.
त्रिफले के जल से नेत्र स्नान कराएँ।
16.
आँखों को तेज धूप, तेज रोशनी, धूल व धुएँ से बचाएँ।
17.
अँधेरे कमरे में टी.वी. न देखें, लाइट जलाएँ।
18.
टी.वी. से कम से कम आठ फुट की दूरी पर बैठें।
19.
पढ़ते समय या टी.वी. देखते समय प्रकाश पीछे से आए।
20.
पैदल चलते-चलते या वाहन में यात्रा करते-करते पढ़ने का कार्य न करें।
21.
प्राण मुद्रा का अभ्यास करें। छोटी व अनामिका अंगुलियों के सिरे से अंगूठे के सिरे से लगाकर एक बार में 16 मिनट तक रखें। ऐसा तीन बार करें।
22.
शुद्धि क्रियाओं जैसे-कुंजल, सूत्र नेति व जल नेति आदि का अभ्यास करें। योग केन्द्र में ये क्रियाएँ नि:शुल्क सिखार्इ जाती है।
23.
त्रिकोणासन, भुजंगासन, सर्वागासन, मत्स्यासन, सिंहासन, धनुरासन आदि आसनों का अभ्यास करें।
24.
उज्जायी, शीतली, शीतकारी, नाड़ी शोधन, भ्रामरी प्राणायाम करें।
25.
पैर के पंजों व अंगूठों पर दबाव पड़ने से नेत्र दृष्टि कमजोर नहीं पड़ती। अत: पादांगुष्ठासन व खड़े होकर ताड़ासन करें।
26.
तेज धूप में बाहर निकलना पड़े तो काला चश्मा लगाएं तथा सिर को कपड़े या टोपी से ढक कर रखें।
27.
पढ़ते या लिखते समय पुस्तक की दूरी लगभग एक फुट हो।
गर्दन को सीधा रखते हुए पढ़ने-लिखने का कार्य करें।
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