Saturday, July 7, 2012

सबका पालनहार


शरद ऋतु का समय था चारों और बर्फ ही बर्फ का साम्राज्य था। जिस और भी दृष्टि जाती केवल सफेदी की एक चादर सी बिछी हुई नजर आती थी शरीर को कंपकपाने वाली ठण्डी हवाएं चल रही थी ऐसे समय में जंगल के मार्ग पर एक सौदागर चला जा रहा था। सर्दी के मारे उसका बुरा हाल था अचानक उसने देखा कि मार्ग में एक अति सुन्दर, बलिष्ठ पुरु निर्वस्त्र एवं मूर्छित अवस्था में पड़ा हुआ है इस अवस्था में पड़े हुए मनुषय को देख सौदागर के मन में विचार उठने लगा कि पड़ा है तो पड़ा रहने दो, मुझे क्या? परन्तु दूसरे ही क्षण मन से आवाज आई कि इस अवस्था में यदि वह पड़ा रहा तो अवश्य ही मर जाएगा आखिर सौदागर भी तो मानव ही था जिसके तन में एक संदेवनशील मन भी था उसने अपने कुछ दासों की सहायता से उसे उठाकर गाड़ी में लिटाया और अपने घर ले आये कुछ समय की सेवा-सुश्रूषा के उपरान्त उसे होश आया और अंतत: वह स्वस्थ हो गया
सौदागर ने उससे बातचीत करनी चाही परन्तु उसने अपनी भाव-भंगिमाओं से जाहिर कर दिया कि वह गूंगा है, बोल नहीं सकता। उस सौदागर का व्यापार जूते बनाकर उन्हें बेचना था उसने गूंगे को भी जूते बनाना सिखा दिया और कुछ ही समय में वह इतने सुन्दर और बढ़िया जूते बनाने लगा कि उसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई , परन्तु वह आदमी किसी से कुछ नहीं कहता और अपने कार्य में लगा रहता था।
एक दिन सौदागर की दुकान के सामने एक बग्घी आकर रूकी और उसमें से वहाँ के राजा ने नीचे उतरकर दुकान में प्रवेश किया उसने अपने दास से सौदागर को एक अति सुन्दर और मूल्यवान खाल अपने नाम के जूते बनाने को दी और कहा, ßजूते ठीक और सही नाप के बनने चाहिए यदि खाल खराब हो गया तो तुम सब लोगों को परिवार सहित कोल्हू में पिलवा दूंगा इस बात का ध्यान रखें Þ राजा के ऐसे वचन सुनकर वह गूंगा भी मुस्कराया जो कभी अपने मुख पर कोई भाव लाता ही नहीं था सौदागर ने उसकी मुस्कराहट देख ली, लेकिन पूछा कुछ नहीं
उस गूंगे ने उस खाल के राजा के जूतों के स्थान पर एक बच्ची के जूते बना दिये, जिन्हें देखकर सौदागर तो कांपने लगा और क्रोध में गूंगे को अनाप-शनाप बकने लगा, मगर गूंगा शांत भाव से अपना कार्य करता रहा
कुछ दिनों के बाद वही बग्घी पुन: दुकान के सामने आकर रूकी और उसमें से एक दास के साथ एक छोटी-सी बच्ची राजसी वस्त्रों में उतरी जो एक पांव से लंगड़ा रही थी दास ने सौदागर को कहा कि राजा की कुछ दिन पूर्व मृत्यु हो गई है और उस खाल से इस बच्ची के जूते बना दें सौदागर ऐसा सुनकर बहुत हैरान हुआ क्योंकि गूंगे ने तो पहले ही जूते बनाये हुए थे, जिन्हें लड़की को देते हुए वह फिर मुस्कराया, जिसे सौदागर ने भी देख लिया बच्ची के दुकान से जाते ही सौदागर गूंगे के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और बोला, ßप्रभु आप कौन है, निश्चित ही आप कोई महान आत्मा अथवा देव हैं Þ गूंगा कुछ समय तक चुप रहा और फिर कहने लगा कि ßहाँ मैं एक देवदूत हूँ और प्रभु की आज्ञा का पालन कर रहा हूँ और यह मेरा कार्य है
प्रभु ने एक दिन एक औरत के प्राण खींचने हेतु आज्ञा दी वह औरत एक भयानक एवं बियावान जंगल में एक झोंपड़ी में रहती थी, जहाँ मीलों तक मनुष्य का नामोनिशान भी नहीं था झोंपड़ी में मैंने देखा कि एक नवजात बच्ची अपनी माँ यानी उस औरत की छाती पर लेटी स्तनपान कर रही है पता नहीं कहाँ से मेरे मन में दया का भाव आया कि यदि मैंने इसकी माँ के प्राण हर लिए तो यह बच्ची कैसे जीवित रहेगी ऐसा विचार आते ही मैं प्राण लिए बिना ही देवलोक लौट गया और प्रभु को पूरा वृतान्त बता दिया Þ
प्रभु मेरे इस कार्य से क्रोधित हुए और मुझसे कहा, ßतुम्हारा काम केवल मेरी आज्ञा का पालन करना मात्र है पालनहार तो मैं हूँ तुम नहीं मैं जानता हूँ कि मुझे क्या और कैसे पालन करना है Þ
प्रभु की आज्ञा से मैं पुन: वहीं पहुँचा और उस स्त्री के प्राण हर लिए और चल पड़ा दूध पीती बच्ची अपनी माँ की करवट के नीचे दब गई  मैंने आज्ञा का पालन तो कर दिया परन्तु प्रभु ने मुझे क्षमा नहीं किया तथा दण्ड स्वरूप पृथ्वी पर फेंक दिया, जहाँ मैं आपको उस अवस्था में मिला
पहली बार राजा जब दुकान पर आया तो वह जूता ठीक बनने की अवस्था में परिवार सहित कोल्हू में पेलने की धमकी दे रहा था, जबकि उसे यह पता नहीं था कि वह अगले दिन ही मृत्यु को प्राप्त होने वाला है ऐसा सोचकर मैं मुस्कराया था दूसरी बार जब बग्घी से छोटी बच्ची उतरी, तब मैंने देखा कि यह वही बच्ची है जिसकी माँ के प्राण मैं हर लाया था और सोच रहा था कि यह किस प्रकार जीवित रहेगी प्रभु की लीला देखिए कि वही लड़की एक राजघराने में पल रही है धन्य है प्रभु तेरी लीला Þ अपनी कथा सुना कर वह देवदूत सौदागर के सम्मुख हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और कहा, ßमालिक मैं आज शाप मुक्त भी हो गया हूँ, अब मुझे अपने लोक जाने की अनुमति भी दें
वास्तव में ही वह इश्वर सर्वशक्तिमान, समस्त संसार का पालनहार है वही शिला के भीतर भी कीट का पालन करता है वही संसारका नियन्ता, रक्षक और चलाने वाला है प्रभु आपको कोटि-कोटि प्रणाम

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