Thursday, July 19, 2012

ऋषियों की योजना


जब-जब भी धरती पर विनाश के बादल छाए ऋषियों की सम्मिलित तपशक्ति से ही उसका निराकरण सम्भव हुआ राम रावण युद्ध के दौरान विश्वामित्र, वशिष्ठ, अगस्तय आदि अनेक ऋषियों की तपशक्ति श्री राम उनकी सेना का मनोबल बढ़ाती रही। महाभारत के युद्ध के उपरान्त जब अश्वत्थामा अर्जुन द्वारा छोड़े गए ब्रह्मास्त्र पाशुपात अस्त्र से सम्पूर्ण सृष्टि के विनाश का संकट उत्पन्न हुआ तो ऋषि वेद व्याद जी ने अपनी तप शक्ति के बल पर उसको रोका
युग ऋषि श्री राम आचार्य जी जब पन्द्रह वर्ष के थे तो सैकड़ों वर्षों से तप कर रहे हिमालय की एक देवात्मा सर्वेश्वरानन्द जी ने उनको कठोर साधना की ओर प्रेरित किया (पुस्तक हमारी वसीयत और विरासत) सुप्रसिद्ध लेखक जॉन कैनिंग ने मैडम ब्लावटस्की एण्ड दी महात्माज नामक शीर्षक के अन्तर्गत अपनी सुप्रसिद्ध पुस्तक Fifty stories of the supernatural में बताया है कि मैडम का हिमालय की देवात्माओं से सम्पर्क रहता है
हिमालय की ये देवात्माएँ आज भी अपने तप का एक अंश उन सुपात्रों को देना चाहती है जो जनकल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करने के लिए अपनी मानो भूमि बनाएगा
स्नानत धर्म का सही स्वरूप इतना महान है कि उसके द्वारा व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय, अन्र्तराष्ट्रीय सभी समस्याओं का समाधान सम्भव है आवश्कयता है उन जाग्रत आत्माओं की जो सनातन धर्म के मूल स्वरूप को पढ़े, जानें, समझे, अपने जीवन में उतारे जन-जन में उसे पहुँचाने का प्रयास करें उपरोक्त लेख में सनातन धर्म के दार्शनिक पक्ष को समझाने का प्रयास अधिक किया गया है क्योंकि यदि जड़ को मजबूत बना दिया जाए तो फिर पूरा वृक्ष स्वत: हरा, भरा, फला फूला रहता है सनातन धर्म की भी गहराई  में जाकर समझने की आवश्यकता है ताकि भारत वर्ष यह वृक्ष अपनी छाया नररत्नों से पूरे विश्व को एक नई दिशा प्रदान कर सकें अन्त में इश्वर से ही प्रार्थना है कि हर भारतवासी सत्य, प्रेम, न्याय के पथ पर चलता हुआ प्रकाश, ज्ञान, शक्ति और आनन्द का स्त्रोत बन जाए।
अमेरिका में हुए एक राष्ट्रीय सर्वे ने चौकानें वाला तथ्य प्रस्तुत किया है कुछ वर्ष पूर्व अमेरिका में 86प्रतिशत लोग ईसायत के समर्थक थे परन्तु अब यह घटकर 76प्रतिशत रह गया है बाकी लोगों का मानना है कि जो पूर्णता हिन्दू धर्म में है वह अन्यत्र नही हैं

देवात्मा हिमालय इस समय एक ऐसी अभियान की बीजारोपण धरती पर कर चुका है जो इस धरती पर उज्ज्वल भविष्य, स्वर्णिम युग लाने हेतु दृढ़ संकल्पित है इस हेतु समर्पित, संकल्पित, भावनाशील व्यक्तियों की एक युग सेना चाहिए
1-  जो व्यक्ति विज्ञान एवं अध्यात्मक का समन्वय कर सकें
2-  जो व्यक्तिगत मान-अपमान से थोड़ा ऊपर उठे हुए हो
3-  जिनके भीतर प्रतिभा भावना दोनों का समावेश हो
4-  जो पारिवारिक बन्धनों में इतनी बुरी तरह जकड़े हो कि उससे बाहर कुछ सोच ही सकते हों
5-  जो साधक प्रवृत्ति के हों
6-  जिनके भीतर करूणा, त्याग, तप, तितिक्षा जैसे आध्यात्मिक लक्ष्ण विराजमान हो
7-  जो समझदार हो, कट्टरवादी होकर उदारवादी हों
इस अभियान का उद्घोषण बहुत सारे भविष्यकताओं सिद्ध पुरुंषो ने किया है -
नेस्त्रोडेम्स    श्री  अरविन्द         युग ऋषि श्री राम      युक्तेश्वर गिरी जी

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